१
तुझे देखा है लेटे हुए बातें करते ऐ समंदर
कभी साहिल पे भी पैग़ाम दिए जाता है
जो मौज तेरी नहीं कहतीं तेरे डर से ज़ालिम
वो सुर्ख सूरज उतरते हुए कहे जाता है
तू शहंशाह है और तेरे राज में ही ऐ बेदर्द
सितमगरों का ये शहर बसता चला जाता है
तूने जादू से रचा है जो एक हसीन तिलस्म
वो तेरी गहराई से भी ऊंचा हुआ जाता है
तू ख़्वाबों का है साथी, तू अश्कों का है डेरा
तेरे पानी में हरपल ज़हर घुला जाता है
तू अपनी बेरूखी का ये लबादा ओढ़े ही रख
बेफिक्र ये शहर तुझपे काबिज़ हुए जाता है
२
हवा से बातें करता
धुंए के जाम पीता
ठोकरों, गड्ढों से
मुझको बचाता
चला जाता है वो
धीमे-धीमे गुनगुनाता
आज की दोपहर
हमसफ़र बना है ऑटोवाला।
३
दो रुपए में
खरीद लिया है सनसेट प्वाइंट
और समंदर के किनारे की
थोड़ी-सी हरियाली
एक डक पॉन्ड भी है उसमें
सी-सॉ पर हैं बच्चे
रिबॉक पहने
उनकी आया इतराती है
मेरे जूतों ने कहा है,
नहीं काटेंगे तुझे
कि इतने सस्ते में
जॉगर्स पार्क के ये महंगे नज़ारे
हर दिन कहां मिलते हैं?
४
सुना है वो सुपरस्टार
सिर्फ़ दो घंटे सोता है हर रोज़
सुना है धुंए के छल्लों से
उलझती है रात
सुना है कि वो होती है
बहुत तन्हां
कि उसकी वैनिटी
सिर्फ सेट्स और वैन में मिला करती है
सुना है कवि है कोई
दिन में लिखता है आईटम नंबर
और रात में रोते हुए
कामायिनी पढ़ता है
सुना है ये शहर
ख़्वाबों को पर देता है
सुना है कि ये नींद-ओ-चैन
गिरवी रखता है।
7 टिप्पणियां:
बिना नींद-चैन गँवाए ..ख़्वाबों को पर कहाँ मिला करते हैं...
जब ख्वाब होते दिखे हैं, चैन कहीं सोने चला जाता है..
सुना है कवि है कोई
दिन में लिखता है आईटम नंबर
और रात में रोते हुए
कामायिनी पढ़ता है.....वाह!!
bahut khoobsurat panktiyan hain...
मुंबई के जीवन की विडंबना - अपने स्वयं से दूर होता
व्यक्ति कितना लाचार कितना अकेला !
सुन्दर !
बाम्बे डक का देश :)
यह विधा भी आपसे अछूती नहीं रही ,उफ़!
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