गुरुवार, 2 मार्च 2017

मोहब्बत २ मार्च की!

हम सबकी ज़िन्दगी में एक मुश्किल तारीख़ होती है। २ मार्च मेरी ज़िन्दगी की सबसे मुश्किल तारीख़ है।

हम सबकी ज़िन्दगी में एक वो शख़्स ज़रूर होता है जिससे हम बेइंतहा मोहब्बत करते हैं। बिना शर्त। बिना नापे तौले। बिना किसी अपेक्षा या उम्मीद के। ये जो मुश्किल तारीख़ होती है न हमारी ज़िन्दगी की, ऐसे ही किसी शख़्स के गुज़र जाने की तारीख़ होती है।

बाबा आज होते तो बयासी साल के हुए होते। बाबा के बयासी का न हो पाने का अफ़सोस उतना बड़ा नहीं जितना बड़ा ये अफ़सोस है कि वे हमारे भीतर-बाहर के कई ऐसे यकीन फलते-फूलते देखने के लिए बाक़ी न रहे जिनके बीज उन्होंने अपने हाथों से हमारी रूहों में डाला था। बाबा ये देखने के लिए बाक़ी न रहे कि हम हर रोज़ उन्हें नई शिद्दत और अथाह ईमानदारी से जीते हैं। बाबा ये देखने के लिए बाक़ी न रहे कि हमने उनका बनाया हुआ घोंसला छोड़ा तो अपने लिए पूरी की पूरी डाल ढूँढ डाली। ऐसी-वैसी नहीं बल्कि बरगद की डाल, बाबा। हमने कई जड़ों से ख़ुद को जोड़ लिया है। ससुराल से लेकर मायके के बीच, भाई-भतीजे से लेकर देयाद-गोतिया के बीच हमने कई परिवार बसा लिए हैं बाबा। और कुछ जुटा न जुटा, मोहब्बत ख़ूब जोड़ी है, बाँटी है।

प्यार करना भी तो आपसे ही सीखा था!

आपकी पिछली और इस बार की बरसी के बीच एक और ग़ज़ब की बात हो गई, बाबा। मुझे प्यार में माफ़ी देना आ गया। ख़ुद को माफ़ करना, और उनको माफ़ करना जिनसे मोहब्बत में गुनाह हो जाते हैं। जिनकी फ़ितरत में दूसरों का दिल दुखाना नहीं होता, उन्हें माफ़ कर देना चाहिए। मोहब्बत में नैतिक-अनैतिक कुछ नहीं होता। मोहब्बत के नियम-क़ायदे नहीं होते। मोहब्बत की दुनिया में सिर्फ़ और सिर्फ़ रूह का कानून चला करता है। उस रूह को चोट न पहुँचे, बस इतना ही हो हासिल मोहब्बत का। बाक़ी तो जिसका हाथ छूट गया, उसके लिए प्यार बाक़ी है। जिसे छोड़ दिया उससे तो दुगुनी मोहब्बत है।

बाबा, माई लव गुरु, थैंक यू फॉर टीचिंग मी हाउ टू लव, एंड हाउ टू फॉरगिव इन लव। एंड थैंक यू फॉर गिविंग मी द मोस्ट डिफ़िकल्ट डे ऑफ़ माई लाइफ़। आई लव यू!