बुधवार, 13 नवंबर 2013

... कि सब ठीक ही है आज कल

मुझसे मत पूछना कि कहां गुम ही इन दिनों।

जब कहने के लिए कई बातें होती हैं, तो सबसे ज़्यादा सन्नाटा यहीं इसी जगह पर, यहीं मेरे ब्लॉग पर होता है।

बस इतना यकीन दिला सकती हूं आपको कि टुकड़ों-टुकड़ों में बिखरे वजूद को समेटने की कोशिश में लगी हुई हूं ताकि एक भरपूर और मुकम्मल शक्ल में आप सबके सामने आ सकूं।

तब तक दुआएं भेजिए क्योंकि कुछ और काम नहीं आता। सिर्फ़ दुआएं और सकारात्मक ऊर्जा, पॉज़िटिव एनर्जी, ही कुछ बदल पाने का माद्दा रखती हैं।

इन पन्नों पर फिर से लौट आने को बेचैन,

आपकी ही
अनु

3 टिप्‍पणियां:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

दुआएं लिखने की जरूरत है क्या ??
शुभकामनायें ...

अजय कुमार झा ने कहा…

लौटिए जी , हम लोग इंतज़ार में हैं बिल्कुल हैं

अन्तर सोहिल ने कहा…

जल्द लौटिये पुरी ऊर्जा के साथ
शुभकामनायें