उड़ उड़ जाने दो
और फिसल जाने दो
रोक कर थाम कर जो रक्खे हैं क़दम
थोड़ी ठोकर लगे
थोड़े घुटने छिलें
तब तो मानेंगे कि हम थे चले दो क़दम
हर हमेशा संभाला है चलते हुए
फ़िक्र की है कि कोई भी जाने नहीं
कोई देखे नहीं हमको गिरते हुए
गिन लिए फॉर्मूले, तय किए रास्ते
पढ़ लिए क़ामयाबी के कुछ फ़लसफ़े
कभी ढूंढा नहीं
कभी पूछा नहीं
इनमें क्या सच रहा और क्या था वहम
मैं भी डरती रही, तुम भी डरते रहे
जो न देखा सुना वो नया ही रहा
ख़ौफ़ खाते रहे हर नई दुनिया से हम
हर बदलते हुए को बेमुरव्वत कहा
चुन लीं कुछ गालियां, हाथ पत्थर लिए
जो बदलने चला वो ज़हर ही पिए
मैं तो फिर भी कहूं
कि चलो कुछ करें
कुछ बदलने का बाकी रहे इक भरम
उड़ उड़ जाने दो
और फिसल जाने दो
रोक कर थाम कर जो रक्खे हैं क़दम
2.
गुल्लक में बचाकर रखे
छोटी ईया के दिए हुए पैसे
उनसे खरीदी हुई पेंसिलें,
चुकाई हुई फ़ीस
रिक्शेवाले के चार रुपए
पानी में घुली हॉर्लिक्स
और सबके हिस्से में आया
दो मिल्क बिकिस
एस्बेस्टस की छत से
छनकर आती धूप
टूटी हुई प्लास्टर वाली
एक कच्ची-पक्की दीवार
और रफू की हुई फ्रॉक में
चमकता कच्चा रूप
एक अंतर्देशीय में आया
नानी का 'शुभासीस'
कोनों पर लटकते जाले
सोफे पर गिरे हल्दी के दाग़
बूंद-बूंद रिसता
वॉश बेसिन का नल
बेमौसम उजड़ गया
एक बदकिस्मत बाग़
धूल खाती साइकिल
मुंह चिढ़ाता अलीगढ़ी ताला
घर बंद कर शहर-शहर
भटकने की कोई एक टीस
कविता नहीं होती
सुंदर, शीतल शब्दों, भावों,
बिंबों का मायाजाल
बिंबों का मायाजाल
कविता नहीं होती
सिर्फ प्रेम की ऊष्णता
कविता होती है
नोस्टालजिया के प्रति कृतज्ञता
और कभी-कभी रौंद दिए जाने का
सुख भी होती है कविता!
6 टिप्पणियां:
मन में कितना बीत रहा है,
किसको मैं बतला पाता,
बस तुमसे ही कह पाता हूँ,
पीड़ा मन की हे कविता।
कविता होती है
नोस्टालजिया के प्रति कृतज्ञता
और कभी-कभी रौंद दिए जाने का
सुख भी होती है कविता!
***
Well defined!!!
अनोखा नि:शब्द
कविता नहीं होती
सुंदर, शीतल शब्दों, भावों,
बिंबों का मायाजाल
कविता नहीं होती
सिर्फ प्रेम की ऊष्णता
कविता होती है
बहुत सुंदर.
एक नई सोच लिए दो सुन्दर रचनाएं !
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
एक नई सोच लिए बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...!
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