ट्विटर पर छिड़े एक गीत की चर्चा ने आज मेरी वो हालत की तो वो दुपहर याद आई। बोल किसी के होते हैं, उन्हें सुरों में पिरोतो कोई और है, धुन कोई और बजाता है, गाता कोई और है और दिल में किसी के और उतर जाया करते हैं वो गीत दफ्फ़तन।
एक फ़ाकामस्त फ़कीर को इससे बेहतर श्रद्धांजलि और क्या होगी कि अपनी-अपनी ठुड्डियों पर हाथ धरे मैं और मेरे छह साल के जुडवां बच्चे लगातार सुबह से यही एक कॉम्पोज़िशन सुने जा रहे हैं। आज मैंने भी मौसी की तरह गिरते-पड़ते गीत के बोल लिख ही लिए। मेरे पास पॉज और प्ले का ऑप्शन था वैसे।
तो स्वानंद किरकिरे के बोल, मेरे बच्चों के लिए मम्मा की डायरी में सहेजने लगी हूं। कहीं बोल की गलती हो तो माफ़ी की हक़दार समझ लिया जाए। गीत है पिंजरा, जिसे कोक स्टूडियो के दूसरे सीज़ने के लिए स्वानंद किरकिरे, शांतनु मोइत्रा और बॉनी चक्रवर्ती ने मिलकर तैयार किया।
सबपर तेरी साहेबी
तुझपर साहेब नाय
निराकार निरगुन तू ही
और सकल भरमाय
ओए आमार कांखेर कॉलोशी
गैछे जॉले ते बाशी - 2
मांझी रे तोर नोकर ढेवला हिया रे - 2
पांच तत्व का बना पिंजरा
पिंजरे में मैना
पांच लुटेरे घात लगाए
घबराए मैना - 2
बजा ले अनहद शून्य के सन्नाटे में
धड़कन की तिरताल
सिमर ले साहिब जी का नाम
कि दुनिया माया का जंजाल
कोरस
साहिब मेरा एक रखवाला रे
साहिब मेरा दीन दयाला रे
साहिब मेरा तन पे दुशाला रे
साहिब मेरा तन में उजाला रे
साहिब तेरे घट भीतर ही
धूनी रमाए बैठा साधु
साहिब तेरा अंतरमन ना रूप रंग
निरगुनिया साधु
ओ मांझी रे ओ मांझी
मांझी रे तोर नोकर ढेवला हिया रे
साहिब नहीं तात-पांत
ना बंधु सखा सखी सैयां साधु
साहिब नहीं जात-पांत
ना धर्म काज निरगुनिया साधु
कोरस
साहिब मेरा निर्मल जल जैसा
साहिब मेरा बहते पवन जैसा
साहिब मेरा नील गगन जैसा
साहिब मेरा भोला मन जैसा
साहिब मेरा एक रखवाला रे
साहिब मेरा दीन दयाला रे
साहिब मेरा तन पे दुशाला रे
साहिब मेरा तन में उजाला रे
4 टिप्पणियां:
खुबसूरत ध्यान और ज्ञान
पांच तत्व का बना पिंजरा
सत्य.
मन में फैला एक उजाला..
वाह.....
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