शीतला घाट पर
फटा है बम।
फिर बनारस पर
गिरे हैं ख़ून के छींटे।
चीख-चीखकर
रोती हैं
अख़बार में
पहले पन्ने की
लहूलुहान तस्वीरें।
फिर किसी नेता ने
खाए हैं रुपए।
उनहत्तर के बाद
लगे शून्य
गिनना भी तो
आता नहीं हमको।
अख़बार कहता है,
हज़ारों करोड़ का
घपला है।
फिर प्रेम की वेदी पर
बलि चढ़ी है
दो नौजवानों की।
फिर कुछ सपनों का
खून हुआ है।
अखबार कहता है,
जाती दुश्मनी थी।
जाति की भी।
फिर क्रिकेट में
बजा है डंका।
लेकिन पिटकर आए हैं
बाकी खेलों में हम।
आईपीएल के आगे
बीपीएल लगते हैं
बाकी के खेल।
मैं नहीं कहती,
अख़बार में छपा है।
फिर मेरे घर
रोता-धोता आया है
आज का अख़बार।
खून में लिपटी है
हेडलाईन।
फिर कुछ चुगलियां हैं,
कुछ बेमानी-सी टिप्पणियां,
फिर अखबार ने
हमको झुंझलाया है।
9 टिप्पणियां:
बहुत सटीक अभिव्यक्ति ..आज कल अखबार में ऐसी ही खबरें मिलती हैं पढने को ...
बाकी भावनाएँ तो दिल को छूती लगीं पर पिछले दो खेल महोत्सवों कॉमनवेल्थ व एशियाड में इतना खराब भी प्रदर्शन नहीं रहा हमारा कि अभी ये कह दें..
फिर क्रिकेट में
बजा है डंका।
लेकिन पिटकर आए हैं
बाकी खेलों में हम।
खून में लिपटी है
हेडलाईन।
फिर कुछ चुगलियां हैं,
कुछ बेमानी-सी टिप्पणियां,
फिर अखबार ने
हमको झुंझलाया है।
- पर पढे बिना रहा भी नहीं जाता ,सबसे बड़ी झुँझलाहट तो यही है !
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
बिल्कुल सटीक लेखन आज के हालात पर…………सभी ऐसा ही महसूस करते हैं।
yathaarth की अभिव्यक्ति है ... सच लिखा है ... aise kitne ही haadse hote हैं apne desh में पर nateeza कुछ नहीं hota ... aank के saaye में jee raha है desh apna ...
बहुत सटीक और सार्थक प्रस्तुति...बहुत सुन्दर
फिर मेरे घर
रोता-धोता आया है
आज का अख़बार।
खून में लिपटी है
हेडलाईन।
bahut badiya!!!
बहुत ही विचारणीय पोस्ट. सटीक और सार्थक प्रस्तुति.........
एक टिप्पणी भेजें