tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post6637258624006057290..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: जिसने चैनलों की शक्ल (और अक्ल) बदल डालीAnu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-42755754515850665912012-07-17T08:18:29.295+05:302012-07-17T08:18:29.295+05:30अच्छा संस्मरण है। रजत शर्मा के बारे में भी कुछ पता...अच्छा संस्मरण है। रजत शर्मा के बारे में भी कुछ पता चला। लेकिन यह भी लगा एक बारगी कि आदमी प्रसिद्ध होने के बाद अपने अभाव के दिन के किस्से सुनाने से चूकता नहीं। मुक्तिबोध सही ही कहते थे शायद- <b>दुखों के दागों को तमगों सा पहना! </b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-40829984558341531292010-12-28T17:20:02.809+05:302010-12-28T17:20:02.809+05:30मीडिया का अपना ही एक आकर्षण है...कुछ रहस्यमय....क...मीडिया का अपना ही एक आकर्षण है...कुछ रहस्यमय....कुछ चमकीला .....कुछ जुझारूपन .....कुछ विवाद ...कुछ जुनून ....कुछ दीवानापन ....कुछ सफेद ....कुछ काला .... बहरहाल रजत जी के बारे में जानकर अच्छा लगा .....इस क्षेत्र में आपके उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-49956786320340703322010-10-31T16:46:15.622+05:302010-10-31T16:46:15.622+05:30अच्छा लगा यह संस्मरण पढ़ कर. रजत शर्मा की आपकी अदा...अच्छा लगा यह संस्मरण पढ़ कर. रजत शर्मा की आपकी अदालत याद है आज से ११-१२ साल पहले की. यहाँ इंडिया टीवी आता नहीं तो कभी देख नहीं पाते. लेकिन उनके बारे में जानना अच्छा लगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-2232078198118447612010-10-31T14:58:37.603+05:302010-10-31T14:58:37.603+05:30संस्मरण हमारे के अतीत के दस्तावेज होते हैं. मैं सो...संस्मरण हमारे के अतीत के दस्तावेज होते हैं. मैं सोचता हूँ कि समय का क्षय नहीं होता उसका आरोहण होता है. समय वर्तुल में नहीं चलता कि लौट कर कहीं आ सके इसलिए हम उन बीते हुए पलों से उसे खोज कर लाते हैं. <br />इस संस्मरण में एकांगी प्रश्न मुखरित है. उसके उत्तर के लिए बहुत सारी भिन्न स्थितियों और सरोकारों के बारे में बात करनी होगी. मैं इससे बचते हुए आपको इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूँ कि आपने बहुत जल्दी लेखन के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया है.<br /><br />शुभकामनाएं.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.com