tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post5634398593772358490..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: दोष तुम्हारा है, पागल लड़की!Anu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-39364675084319926052012-07-18T17:51:21.425+05:302012-07-18T17:51:21.425+05:30अनु, शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ और घटना भय...अनु, शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ और घटना भयंकर और अपने ही समाज के प्रति घृणा जगाने वाली है। आपका लेखन सोई हुई आत्माओं पर चोट करने वाला है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-29606162897171210562012-07-14T15:11:19.698+05:302012-07-14T15:11:19.698+05:30क्या हो गया है यह, सब कुछ शर्मनाक..क्या हो गया है यह, सब कुछ शर्मनाक..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-30411199308515041412012-07-14T14:08:43.663+05:302012-07-14T14:08:43.663+05:30अफ़सोस! शर्मनाक हादसा हुआ।अफ़सोस! शर्मनाक हादसा हुआ।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-76608642950884535242012-07-14T08:29:26.273+05:302012-07-14T08:29:26.273+05:30चुभता है ये सब कुछ....मगर सिवा सहलाने के और क्या क...चुभता है ये सब कुछ....मगर सिवा सहलाने के और क्या करें???<br />दुखद...<br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-64643307687012008622012-07-14T02:22:03.087+05:302012-07-14T02:22:03.087+05:30नारीत्व एक भद्दी गाली है ,जो सिर्फ़ पुरुषों के लिय...नारीत्व एक भद्दी गाली है ,जो सिर्फ़ पुरुषों के लिये रिज़र्व है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-51718158528559399642012-07-13T21:07:42.683+05:302012-07-13T21:07:42.683+05:30अनु जी आप की और हमारी सोच कितनी मिलतीजुलती है एक ...अनु जी आप की और हमारी सोच कितनी मिलतीजुलती है एक आप और हम ही है जो लोगों को बता पा रहे है की दोष लड़की का है और लोग है की बेमतलब के इमोशन में बह कर<br />लड़की के प्रति सहानभूति जता रहे है |<br /> <br />http://mangopeople-anshu.blogspot.in/2012/07/mangopeople_13.html#comment-formanshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-6983861438869683242012-07-13T20:49:43.557+05:302012-07-13T20:49:43.557+05:30एक बुर्का सिलवा लो लड़की और अकेली मत निकला करो सड़...एक बुर्का सिलवा लो लड़की और अकेली मत निकला करो सड़कों पर। वैसे मैं अपनी बेटी को कैसे बचा कर रखूं, इस उलझन में हूं फ़िलहाल। उससे भी बड़ी उलझन है कि बेटे को उन्हीं इज्ज़तदार लोगों के घरों के शरीफ़ लड़कों में से एक होने से कैसे बचाया जाए?<br /><br />very difficult question to ans.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-64282956798584312352012-07-13T16:20:22.546+05:302012-07-13T16:20:22.546+05:30उफ्फ्फ... यह जानकार कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं रही...उफ्फ्फ... यह जानकार कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं रही है... आँखों में आंसू और जुबां पर ताला सा पड़ गया है... हम मर्द जल्लाद से कम नहीं हैं...<br /><br /><br />दोष उन लड़कों का नहीं बल्कि पूरी मर्द कौम की सोच का है, हम कब तक महिलाओं को पर्सनल प्रोपर्टी समझते रहेंगे?Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-50615418471554115952012-07-13T13:21:24.748+05:302012-07-13T13:21:24.748+05:30इतनी दूर देश बैठे फूट फूट कर रो देने का मन है...इस...इतनी दूर देश बैठे फूट फूट कर रो देने का मन है...इस पोस्ट से गुवाहाटी की उस फुटेज तक चली गयी. <br /><br />विदेश पहुँचो तो पहली चीज़ जिस पर ध्यान जाता है कि यहाँ लड़कियां कितनी निडर हैं...उन्हें भय नहीं लगता...उनके कपड़े, सर उठा के जीने का अंदाज़, हँसना, खेलना, काम करना...देश चाहे पोलैंड जैसा गरीब हो या स्विट्जरलैंड जैसा अमीर...उन्हें जीने की आजादी है. वो अपनी पसंद के कपड़े पहन सकती हैं, उनमें काम कर सकती हैं, रात को अकेले घूम फिर सकती हैं. <br /><br />हमारे यहाँ बचपन से लड़की के अंदर एक ही चीज़ कूट कूट कर भरा जाता है...डर...हर हमेशा चौकन्ना रहना...नज़रें झुका कर चलना...जितना हो सके उतना कम अटेंशन आये ऐसे कपड़े पहनना...ढक छिप के रहना...खूबसूरत हो तो खराब कपड़े पहनो, हेयरस्टाइल ऐसी रखो कि खराब नज़र आओ...किसी भी हाल में कोई तुमपर ज्यादा ध्यान न दे. <br /><br />सड़क पर चलो तो डर...भीड़ में हो तो डर...सुनसान जगह पर हो तो डर...ऑफिस में डर...सिनेमा में डर, ट्रेन, बस, टेम्पो, ऑटो में डर...हर जगह डर की हुकूमत कि जब तक डरी रहोगी शायद सुरक्षित रहोगी...ऐसे ही सारे इंसिडेंट देखती हूँ तो लगता है कि देश में सारी लड़कियों के नाम पिस्टल इशु कर देना चाहिए...कहीं भी कोई भी सेफ नहीं है...पिस्तौल का लाइसेंस मिलना चाहिए कि ऐसे जानवरों को लड़की खुद शूट कर सके...किसी को उसके बचाव में आने की जरूरत न पड़े. <br /><br />ये कैसा समाज है...ये कैसे लोग हैं...ये कैसा अपना देश है जहाँ डर का साम्राज्य चलता है...ये कैसी आजादी है...उधार पर जीना है. कभी भी कोई भी मनचला आकर आपकी औकात बता सकता है...ओह लड़की...जाने इस जन्म में तुम्हारे ज़ख्म भरेंगे भी कि नहीं...हौसला रखना...बहुत सा हौसला रखना. मेरी दुआएँ तुम्हारे साथ हैं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-3471797474100950972012-07-13T12:06:52.204+05:302012-07-13T12:06:52.204+05:30रश्मि जी से पूरी तरह सहमत!रश्मि जी से पूरी तरह सहमत!राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-76934174130640737302012-07-13T10:32:20.692+05:302012-07-13T10:32:20.692+05:30हमारे लिए कुछ नहीं बदला द्रुपदी से लेकर इस बच्ची ...हमारे लिए कुछ नहीं बदला द्रुपदी से लेकर इस बच्ची तक ...वही दुशासन है ...<br />एक लड़की होकर पैदा होना मुश्किल है, और बड़े होना और भी मुश्किल ....दिल्ली से गुवाहाटी तक ...क्या फर्क हैsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-11363751816742558262012-07-13T10:28:01.103+05:302012-07-13T10:28:01.103+05:30संयोग से कल ये समाचार नहीं देखा था वरना रात की नीं...संयोग से कल ये समाचार नहीं देखा था वरना रात की नींद शर्तिया गयी थी...अभी अभी रविश कुमार का वीडियो देखा...अब लगता है...लड़कियों की अगली एक पूरी पीढ़ी को लड़ाकू बनाना होगा...कोई आँख उठा कर देखे तो आँखें नोच लें...नाम पूछने की कोशिश करे...तो थप्पड़ मार दे...अब दूसरा कोई उपाय नज़र नहीं आता....लड़कों का ज्यादा प्रतिशत बदलने को तैयार ही नहीं....पर हमारा समाज भी कहीं बहुत बड़ा दोषी है...शुरू से ही उन्हें अलग रखो..अलग स्कूल में पढाओ...आपस में बातें ना करने दो...मिलने जुलने ना दो...लडकियाँ अजूबा लगती हैं,उन्हें .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-28055820287445791632012-07-13T09:09:46.583+05:302012-07-13T09:09:46.583+05:30ek aur hadasa bas itna hi kehna haen mujhko
kyuk...ek aur hadasa bas itna hi kehna haen mujhko <br /><br />kyuki sajaa to kisi ko milnae sae rahiiरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-22284758018693245882012-07-13T09:09:08.052+05:302012-07-13T09:09:08.052+05:30जितनी संवेदित और संतुलित तात्कालिक प्रतिक्रिया आपस...जितनी संवेदित और संतुलित तात्कालिक प्रतिक्रिया आपसे होनी चाहिए थी लाजिमी थी .<br />सुना कुछ पत्रकार भी थे वहां जो कवरेज में जुटे थे .....उनकी अपनी बाईट चल रही थी ...<br />मगर शायद पूरे समाज को दोषी ठहराना थोड़ी भावुकता जानी ज्यादती तो नहीं है ...<br />मैं तो जैव विज्ञान और मानव व्यवहार का एक अदना सेवी रहा हूँ -<br />जनता हूँ मनुष्य के भीतर एक झपकियाँ लेता गोरिल्ला रहता है ...<br />हम ऐसी स्थितियां जिन्हें आपने दर्शाया है को उद्दीपन क्यों बनने दें?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-33481331342540599002012-07-13T09:02:06.663+05:302012-07-13T09:02:06.663+05:30कैसे कहे कि हम सभ्य समाज में हैं . क्या हम इस बात ...कैसे कहे कि हम सभ्य समाज में हैं . क्या हम इस बात को समझेंगे कि ये लोंग किसी एक धर्म , जाति , के नहीं थे !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com