tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post417154435226465179..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: जानेमन तुम कमाल करती हो!Anu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-57646222310254534992013-08-23T09:52:45.907+05:302013-08-23T09:52:45.907+05:30ये पोस्ट आज के जनसत्ता में प्रकाशित है.ये पोस्ट आज के जनसत्ता में प्रकाशित है.Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-41460994558681554422012-10-20T19:46:34.898+05:302012-10-20T19:46:34.898+05:30लिखने का तरीका तरो मन भा गया ।लिखने का तरीका तरो मन भा गया ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14629207535770719149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-72856569381678523282012-09-29T21:35:50.367+05:302012-09-29T21:35:50.367+05:30janeman tum to vakai me kamal karti ho...itni badi...janeman tum to vakai me kamal karti ho...itni badi badi bate kitni aasani se keh jaati ho.... You write so beautifully ! Hats off !!Rekha Kakkarhttps://www.blogger.com/profile/01468654927232160431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-11440197588383114742012-09-27T22:34:57.734+05:302012-09-27T22:34:57.734+05:30rasprabha@gmail.com per sampark karen rasprabha@gmail.com per sampark karen रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-21956947312429306342012-09-19T08:07:27.940+05:302012-09-19T08:07:27.940+05:30वह सब सुन लेना, जो सुनना चाहते हैं और वह भी, जो सु...वह सब सुन लेना, जो सुनना चाहते हैं और वह भी, जो सुनने से बचे रहते हैं...Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-40484334016446443292012-09-18T20:04:18.255+05:302012-09-18T20:04:18.255+05:30जियो मेरी जान, ख़ुद के लिए भी कभी-कभी, कि बाकी तो ...जियो मेरी जान, ख़ुद के लिए भी कभी-कभी, कि बाकी तो दूसरों के लिए जीना तो तुम्हारी ख़ूबसूरत फ़ितरत है। <br /><br />अनु सिंह, सब समझती हो फिर भी कितनी नासमझ हो!! जानेमन, तुम वाकई कमाल करती हो!!!<br /><br />ढेर सारे प्यार के साथ, <br /><br />तुम्हारे भीतर की रूह, <br />जो बहुत सोचती है और उससे ज़्यादा बोलती है! <br /><br />sometimes we must talk to ourselvesRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-88347122148431743032012-09-18T15:36:34.844+05:302012-09-18T15:36:34.844+05:30अनु सिंह, सब समझती हो फिर भी कितनी नासमझ हो!! जाने...अनु सिंह, सब समझती हो फिर भी कितनी नासमझ हो!! जानेमन, तुम वाकई कमाल करती हो!!!<br /><br />ढेर सारे प्यार के साथ.varshahttps://www.blogger.com/profile/03696490521458060753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-61602069242323584512012-09-18T13:23:40.051+05:302012-09-18T13:23:40.051+05:30जानेमन...
तुमने तो वाकई में कमाँल कर दिया..!
इतनी ...जानेमन...<br />तुमने तो वाकई में कमाँल कर दिया..!<br />इतनी अच्छी रचना..<br />कमाल है...!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-50661148640559439982012-09-18T13:10:08.272+05:302012-09-18T13:10:08.272+05:30टेक ईट ईज़ी, जानेमन। लंबी गहरी सांसें लो और जो आस-...टेक ईट ईज़ी, जानेमन। लंबी गहरी सांसें लो और जो आस-पास त्याज्य है उसे छोड़ना सीखो। जाने दो, उन कड़वी बातों को, उन तकलीफ़देह सच्चाईयों को जो तुम्हारी रातों की नींद ख़राब करने चले आते हैं। दो-चार दिन के लिए अपना झंडा नीचे कर दो, और कहो कि इस संघर्षरत ज़ेहन को आराम दो<br />bahut jaruri hai ye.par ho nahi pata.<br />Janeman tum vakai kamaal karti ho :)<br />shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-84130547391511276282012-09-18T12:47:55.135+05:302012-09-18T12:47:55.135+05:30आस-पास कभी, कि कुछ भी स्टैंड-अलोन नहीं होता।
हम...आस-पास कभी, कि कुछ भी स्टैंड-अलोन नहीं होता। <br /><br />हम्म सोचने वाली बात है....<br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-21652253799822844242012-09-18T12:47:18.148+05:302012-09-18T12:47:18.148+05:30बहुत दिनों बाद आपका ब्लॉग पढ़ा .....बहुत अच्छा लिख...बहुत दिनों बाद आपका ब्लॉग पढ़ा .....बहुत अच्छा लिखा है ...लग रहा है आप कह रही हैं और मैं सुन रही हूँ ...सीधे ह्रदय तक पहुंचती हुई बातें ...जैसे पता नहीं कितना परिचय है आपसे ...जैसे ...ये आप मेरी रूह से बातें कर रही हैं ...या अपनी रूह से ....?????<br />शुभकामनायें अनु जी ..Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-87001784810659454362012-09-18T12:04:51.058+05:302012-09-18T12:04:51.058+05:30कभी लगता है सारी दुनिया का बोझ उठा लूँ, कभी लगता ह...कभी लगता है सारी दुनिया का बोझ उठा लूँ, कभी लगता है कि उन्मुक्त उड़ूँ। दुविधा है किसी के लिये, सुविधा है किसी के लिये। प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-17620907656540418352012-09-18T11:42:19.790+05:302012-09-18T11:42:19.790+05:30अपनी रूह की बातें सुनना कहीं ज्यादा अच्छा है दुनिय...अपनी रूह की बातें सुनना कहीं ज्यादा अच्छा है दुनिया की बातें सुनने से । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-10166819150533768552012-09-18T11:10:56.712+05:302012-09-18T11:10:56.712+05:30तो फिर तुम्हें क्यों लगता है कि अपने कंधे पर दुनिय...तो फिर तुम्हें क्यों लगता है कि अपने कंधे पर दुनियाभर का बोझ लिए तुम जी जाओगी? तुम्हें क्यों लगता है कि पूरे घर-संसार का दारोमदार एक तुम्हारे खुद को माथे है? तुम्हें क्यों लगता है कि एक तुम स्थिर हो, बाकी सब आनी-जानी है? <br /><br />जीवन का दूसरा और बेहद कड़वा सत्य ये भी है कि अपनी जिस दुनिया में ख़ुद को तुम इन्डिसपेन्सेबल, अपरित्याज्य माने रहती हो उस दुनिया का काम तुम्हारे बग़ैर बड़े मज़े में (और कई बार तो ज़्यादा बेहतर तरीके से) चलता है। इसलिए जानेमन, अपनी इत्ती-सी दुनिया से बाहर निकलो और देखो कि जीने-सुनने-समझने-भोगने-देने-समेटने के लिए कितना कुछ बाकी है अभी। <br /><br />यही गलत फहमियन पाले ज़रूरत से ज्यादा बोझ लिए जीती है नारी ... बहुत सुंदर लेख ...सच्चाई को कहता हुआ ... और लिखने का तरीका तरो मन भा गया ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-29357529599446229202012-09-18T10:11:40.089+05:302012-09-18T10:11:40.089+05:30बढ़िया है...खुद के लिए जीना सीखना बहुत ज़रूरी है ....बढ़िया है...खुद के लिए जीना सीखना बहुत ज़रूरी है .Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.com