tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post2667322750887232635..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: बड़ा रे कठिन कइलू छठी के बरतिया...Anu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-88844881327065328522011-12-15T15:57:33.487+05:302011-12-15T15:57:33.487+05:30मुझे भी अपने देवघर में छठ की याद आ गयी...भोर की अर...मुझे भी अपने देवघर में छठ की याद आ गयी...भोर की अर्घ्य के लिए उठाना वाकई कठिन काम होता था. लगभग चौथाई बाल्टी में गर्म पानी मिलता था...उसी में ठंढा पानी मिला के किसी तरह नहाते थे सुबह सुबह. <br /><br />आपको पढ़ के सारी तस्वीर आँखों के सामने खिंच गयी. काफी देर से पढ़ रही हूँ आपको और लगता है की वापस घर पहुँच गयी हूँ.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-4695487594511168622011-11-03T11:34:28.564+05:302011-11-03T11:34:28.564+05:30छठ महा अनुष्ठान का शब्द चित्रों में जीवंत वर्णन,कि...छठ महा अनुष्ठान का शब्द चित्रों में जीवंत वर्णन,कितनी ही बारीकियों को भी समेटे हुए और आपकी "जितना कहा उससे अधिक समझ लेने को अनकहा सा संकेत" देती विशिष्ट शैली यहाँ भी उभार लिए :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-86070493990814057462011-11-02T14:53:18.178+05:302011-11-02T14:53:18.178+05:30स्मृतियाँ बहुत गहरी होती हैं, और कब और कैसे खेत घन...स्मृतियाँ बहुत गहरी होती हैं, और कब और कैसे खेत घनी बस्तियों में तब्दील होते जा रहे हैं, पता ही नहीं चलता है।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-67202566573946114392011-11-02T11:01:26.916+05:302011-11-02T11:01:26.916+05:30उस समय तो सभी को जल्दी उठना पड़ता था , और सचमुच यह...उस समय तो सभी को जल्दी उठना पड़ता था , और सचमुच यह कोई मजबूरी नहीं होती थी , ख़ुशी खुश बड़े चाव से ठन्डे पानी में एक किनारे से दूसरे किनारे सहेलियों के साथ दौड़ भाग , सूर्योदय के अर्ध्य के बाद प्रसान माँगना , अपनी स्मृतियों में हमारी स्मृतियाँ भी जोड़ लीजिये !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com