tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post8623095155146212655..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: A fine balance, or something like itAnu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-2544258466029685202011-07-09T08:13:00.118+05:302011-07-09T08:13:00.118+05:30मंत्रमुग्ध सा पढता गया -लगा कोई उपन्यास पढ़ रहा...मंत्रमुग्ध सा पढता गया -लगा कोई उपन्यास पढ़ रहा हूँ -एक यथार्थ कथा ! भाव शब्दों और शैली में इतना सहज तारतम्य और भाषा पर पकड़ विरले ही मिलता है -यह दुनिया आपकी है बस आगे बढ़ते चलिए -ढेर सारा स्नेहाशीष!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-27820323655187135762011-04-10T21:25:52.264+05:302011-04-10T21:25:52.264+05:30जीवन कई प्रकार के उतारों-चढ़ावों से भरा होता है .....जीवन कई प्रकार के उतारों-चढ़ावों से भरा होता है ..हमें हर जगह कुछ न कुछ सीखने को मिलता है .....और सच पूछो तो जीवन की एकरसता में कोई रोमांच नहीं होता ...जिन परिस्थितियों से आप गुज़री हैं उन्होंने आपको और भी परिपक्व ही बनाया है. हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए ऐसी विपरीत स्थितियों का. आपको आपके यमज बेटों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए मेरी शुभकामनाएं.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com