tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post6474622761390759225..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: घर छोड़कर चल देना एक दिन Anu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-8058227410837303762015-08-17T23:01:27.436+05:302015-08-17T23:01:27.436+05:30Wonderful words ...Wonderful words ...Arpithttps://www.blogger.com/profile/14470556405104904089noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-7113482107498424402015-05-22T12:01:05.752+05:302015-05-22T12:01:05.752+05:30किस्सा-ए-अज़ीज कुछ हम सा था।किस्सा-ए-अज़ीज कुछ हम सा था।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18354736635962868153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-49548998952335050262015-04-09T00:56:22.324+05:302015-04-09T00:56:22.324+05:30हम तो ठहरे एक घुमंतू,
ना कोई ठौर,
ना कोई ठिकाना।...हम तो ठहरे एक घुमंतू, <br />ना कोई ठौर, <br />ना कोई ठिकाना।<br />आज यहाँ, <br />कल वहाँ पे<br />हम तो<br />बसा लेते हैं - <br />इक आशियाना।<br /><br />Tweethindi.wordpress.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-69530366879342091842015-04-02T10:53:40.781+05:302015-04-02T10:53:40.781+05:30(निदा फाजली):कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें
छत...(निदा फाजली):कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें<br />छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता|<br />दीदी, लगता है कुछ ऐसा ही हाल है हम सब का....घुमंतू जो ठहरे...satyam14126https://www.blogger.com/profile/05089696148620625893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-64071950092364360762015-04-01T15:24:54.567+05:302015-04-01T15:24:54.567+05:30आज आपका मॉर्निंग पेज नहीं ??????दिन की की शुरुआत अ...आज आपका मॉर्निंग पेज नहीं ??????दिन की की शुरुआत अधूरी सी लग रही है।djhttps://www.blogger.com/profile/09135162402074927712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-2353224523154537432015-04-01T08:07:57.232+05:302015-04-01T08:07:57.232+05:30बहुत हीं उम्दा लिखा है आपने दीदी . जिन छोटी -छोटी ...बहुत हीं उम्दा लिखा है आपने दीदी . जिन छोटी -छोटी बातों पर कभी ध्यान नही जाता उन छोटी-छोटी बातों को कितनी संजीदगी और मनोरंजक तरीके से पेश करतीं है आप . बच्चो के पिता का घर तो पूर्णिया है और उनकी माॅ को तो खैर मालूम हीं नही की घर कहाॅ था और कहाॅ खो गया . घर कहाॅ बनेगा और कहाॅ घूमता रहेगा साथ साथ , कितनी बड़ी बात यहाॅ पे कह गयी है आप . बैचलर लाईफ से गुजर रहा हूॅ जिससे मैने भी शहर और रहने का जगह बदला है . लेकिन मेरा घर तो वही है गाॅव मे ,पीपल की छाॅव मे ... बाॅकी बचा रहने का जगह तो हमलोगो के लिए डेरा होता है जहाॅ से एक ना एक दिन जाना होता है .<br /><br />इस संबंध मे आपने जो स्त्री का , किसी के पत्नी होने पर घर-शहर बदलने की जो कथा कही है वो सोचने पर विवश करता है . एक लडकी के लिए पिता का घर , हाॅस्टल , ससुराल , पति के साथ रहते हुए बदलते शहर , बदलते घर इनसे बाहर आना कितना कठिन होता है आज आपको पढ़ते हुए समझ मे आ रहा है .<br /><br />मेरे हिसाब से घर ,अर्थात अपना घर , गाॅव वाला घर इक बस स्टाॅप की तरह है जहाॅ हमे जगह बदलने के लिए , बसे बदलने के लिए जाना ही होता है . वरना स्थाई जर तो ये दुनिया भी नही , हम सब सफर में है .ना जाने कितने घर आएगे, हमे आश्रय देंगे और फिर हम उसमे कुछ दिन बसकर उसे अपने यादों की स्मृति मे कैद कर आगे बढ जाएगें .<br /><br />पूरी तरह से दार्शनिक पुट लिए आपका यह पोस्ट मुझे कई मायने मे आपके फिलोसफर होने का बोध करा रहा है , पिछले पोस्ट मे तो इस से भी ज्यादा .<br /><br />खैर आपको पढ़ते हुए लिखना और दुनिया को समझना सीख रहा हूॅ . आप लिखते रहे हम पढते रहेंगे .<br /><br />बालमुकुंद . बालमुकुन्दhttps://www.blogger.com/profile/16838273465873098244noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-66004754882098471152015-03-31T18:33:21.044+05:302015-03-31T18:33:21.044+05:30 सारी पंति दिल से लिखी गयी है आँखो मे आँसू आ गए |... सारी पंति दिल से लिखी गयी है आँखो मे आँसू आ गए | नया घर मुबारक हो मैंम |Mukund Mayankhttps://www.blogger.com/profile/13025950919584711416noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-58815009479345867472015-03-31T15:19:43.909+05:302015-03-31T15:19:43.909+05:30नई जगह जाने और रहने के आनंद की बधाई आपको नई जगह जाने और रहने के आनंद की बधाई आपको djhttps://www.blogger.com/profile/09135162402074927712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-35274867793575224972015-03-31T15:17:20.430+05:302015-03-31T15:17:20.430+05:30स्थिर ठिकाना तो धरती पर कहीं भी किसी का है ही नहीं...स्थिर ठिकाना तो धरती पर कहीं भी किसी का है ही नहीं। जाना तो सबको एक दिन एक ही ठिकाने पर है..... फिर इन दीवारों से कैसा मोह?djhttps://www.blogger.com/profile/09135162402074927712noreply@blogger.com