tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post4512236312136546711..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: करो बस इतना कि करम धुल जाए Anu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-68581500887100362242015-03-30T23:38:24.603+05:302015-03-30T23:38:24.603+05:30मुझे ये नही पता चल रहा है की इस बिषय पर अनु मैंम न...मुझे ये नही पता चल रहा है की इस बिषय पर अनु मैंम ने अच्छा लिखा य फिर बालमुकुंद ने ;वैसे बालमुकुंद भी इसी ब्लॉग जिसे मैं school कहता हूँ के छात्र है |; खैर आज ये तो जाना की माँ होना कितना कठीन है |Mukund Mayankhttps://www.blogger.com/profile/13025950919584711416noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-24600160843851925332015-03-29T23:22:15.812+05:302015-03-29T23:22:15.812+05:30हम कितना भी प्रयास करलें , फिर भी कुछ चीजें ऐसी है...हम कितना भी प्रयास करलें , फिर भी कुछ चीजें ऐसी है कुछ काम ऐसे है जिसे करने का एकदम मन नहीं करता । आज आप ने जिन मुद्दों को लेकर की-बोर्ड खटखटाया है , ये मुझे अपनी कथा लगती है ।बैचलर लाईफ मे भी तो इन्ही समस्याओ से हम जूझते हैं ।हर काम करलो पर खाना बनाने का जी नहीं करता । फोनकाल्स ,किताबें ,इन्टरनेट , गप्पेबाजी का दौर चलते रहता है और फिर जब भूख बर्दाश्त के बाहर हो जाती है तो मजबूरन पकाना हीं पड़ता है ,बर्तन माॅजने ही पड़ते है ।<br />किंतु कभी ये नहीं सोचा की ऐसा महिलाओं के साथ भी होता है ।मैं तो हमेशा माॅ को घर के कामों मे व्यस्त पाया हूॅ ।सवेरे से उठकर चौका बर्तन ,अनाजो मे धूप लगाना ,उन्हे धोना , फटकना आदि-आदि ...कभी ये नही सोचा की कैसे वह रोज ये सब कर लेती है ।क्या कभी उसका मन नहीं करता आराम करने को? <br /><br />मगर आज अनु मैम आपने यह बेहतर बताया कि एक माॅ जो कितनी भी आलसी हो ,उसका मन कितना भी घर के कामो मे क्यू ना लगे वो कैसे अपने बच्चो की खातिर बर्तन चौका के कामो मे जुट जाती है ।मजबूरी में नही बल्कि बच्चो के प्रेम में ।सच ही लिखा है आपने जिस काम को जितना प्यार से किया जाएगा उसमे उतना हीं मन लगेगा ।<br /><br />और अंत में तीन चार दिनों के बाद सुबह -सुबह आपकी डायरी पढ़कर मजा आ गया ।पता है आपकी एक किताब आ चुकी है एक आ रही है और ,और भी कितनी किताबे आप लिखेंगी ये भरोसा है पर सुबह-सुबह आपकी डायरी पढ़ने का बात हीं कुछ और है ।<br /><br />हाॅ मौका है हीं तो क्यूं ना एक बात मै अपनी भी कह लूॅ ।आज आपने फेसबुक पर मेरा मित्रता स्वीकारा है मै बता नहीं सकता की मैं कितना खुश हूॅ ।इस खुशी को बयाॅ करने को शब्द नही मिल रहा ।<br /><br /> बालमुकुन्दhttps://www.blogger.com/profile/16838273465873098244noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-64761612483731306432015-03-29T19:45:11.595+05:302015-03-29T19:45:11.595+05:30बिलकुल सही। सच में बड़ी कोफ़्त होती है घर के कामो मे...बिलकुल सही। सच में बड़ी कोफ़्त होती है घर के कामो में। लेकिन आप चाहे घर के कामों को ठीक से न कर पातीं हों पर ये रोज़ मॉर्निग पेजेस में साहित्य रुपी मोती तो बिखेर ही लेतीं हैं। हम तो न घर के न साहित्य घाट के। जानती हूँ आपका समय अमूल्य है पर एक बार dj के ब्लॉग्स एक लेखनी मेरी भी और नारी का नारी को नारी के लिए का अवलोकन भी करलें ब्लॉग जगत में नए नए कदम रखने वाले हम जैसे तथाकथित लेखकों भी आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है<br />http://lekhaniblog.blogspot.in/ एक लेखनी मेरी भी<br />http://lekhaniblogdj.blogspot.in/ नारी का नारी को नारी के लिए<br />djhttps://www.blogger.com/profile/09135162402074927712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-80775176600345677992015-03-29T09:35:26.648+05:302015-03-29T09:35:26.648+05:30उहूं, इतना पढ़ के भी घर का कोई काम करने का मन नहीं...उहूं, इतना पढ़ के भी घर का कोई काम करने का मन नहीं कर रहा। एक तो ये घर का काम रोज रोज करना होता है, ये नहीं कि एक बार साफ कर दिये तो कमसे कम महीने दो महीने चल जाये. <br /><br />बहुत मुश्किल है सुंदर, साफ सुथरा घर मेन्टेन करना...हमको अभी सीखने में टाइम लगेगा :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.com