tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post3284624387622123515..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: ज़ुल्फ के सर होने तकAnu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-7538125734802024892012-11-09T22:16:53.634+05:302012-11-09T22:16:53.634+05:30hmmmm...since you insisted, i didn't had any w...hmmmm...since you insisted, i didn't had any way around and thank god you insisted to read it.<br /><br />wonderfull !!<br /><br />but certainly like to meet this Gen Batra one day who takes brandy on the rocks...<br /><br />well, who takes brandy on the rocks afterall???? crazy old man !गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-25389969334069742092011-11-13T16:42:15.983+05:302011-11-13T16:42:15.983+05:30जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में घुस गयी जटिलतायें बड...जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में घुस गयी जटिलतायें बड़ी स्पष्ट हो जाती हैं आपके आलेख में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-49143207075196890292011-11-12T22:36:23.114+05:302011-11-12T22:36:23.114+05:30आज की ज़िंदगी का सटीक चित्र दिखा रही है यह पोस्ट ....आज की ज़िंदगी का सटीक चित्र दिखा रही है यह पोस्ट ... मर्मस्पर्शीसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-31558387239836831782011-11-12T19:45:41.841+05:302011-11-12T19:45:41.841+05:30सागर होती है= समग्र होती हैसागर होती है= समग्र होती हैArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-53533570068547957392011-11-12T19:44:58.058+05:302011-11-12T19:44:58.058+05:30आपको पढना हमेशा एक गहनता में डूब जाना होता है ...म...आपको पढना हमेशा एक गहनता में डूब जाना होता है ...मगर दिक्कत यह होती है कि आपकी पोस्ट खुद इतना स्वयंपूर्ण होती है .सागर होती है कि प्रतिक्रियाओं का स्कोप नहीं देती ..हाँ अनुभूति को शिद्दत के साथ समों लेने को ही होती है ...बहरहाल एक उम्र के बाद की असुरक्षा को आपने अपनी पट कथात्मक शैली में कितना जीवंत रूप से वर्णित किया ...वाकई आपका जवाब नहीं ! काश मैं निर्माता होता तो आपकी हर पोस्ट पर फिल्म बनाने को अनुबंधित कर लेता ...!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-312738325393544432011-11-12T10:23:15.425+05:302011-11-12T10:23:15.425+05:30जगमगाती स्मृतियों से छूट कर खिला हुआ सुबह का ये पा...जगमगाती स्मृतियों से छूट कर खिला हुआ सुबह का ये पार्क एक सुन्दर फीचर है. हम जब खुद के करीब होते हैं तो ऐसे ही आवाज़ों का पीछा करते हुए शक्लें खोजने लगते हैं. <br /><br />कुदरत के कायदे बड़े कठिन है. चीज़ें जब खुद को बुन रही होती हैं, जीवन जब साँस लेने लगता है, हम मोह से भर जाते हैं. जबकि इस आरोहण में सीढियां तन्हाई की ओर ही जाती है. किन्तु अगर मैं इतनी उम्र जी पाया तो यकीनन राजगढिया अंकल की तरह नितांत अकेला ही जीना चाहूँगा. एक ऐसे अजनबी की तरह जिसके पास उसके सम्बन्धी और बच्चे कभी कभी वक्त बिताने के लिए आया करें. <br /><br />इस तरह का जीवन दूर से बड़ा कठिन दिखाई देता है लेकिन जब पीड़ा को कोई देखने वाला और महसूस करने वाला न हों तो हम उसके असर को भी कम पाते हैं. घुटने पर चोट खाने के दिनों में जब माँ और पापा देख नहीं रहे होते थे तो सब संभल जाता था. उम्रदराज जीवन के आखिरी पड़ाव पर भी ये एकांत संभव है कि दुनिया में बिखरे अपने मोह को समेटने में मदद करता होगा. <br /><br />खैर आपने बहुत सुन्दर लिखा है. बधाई.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-2582170927699717482011-11-12T10:17:04.487+05:302011-11-12T10:17:04.487+05:30पहली और अंतिम हंसी ....वह भी कितनी खोखली!पहली और अंतिम हंसी ....वह भी कितनी खोखली!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com