tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post1743016679125423716..comments2023-10-06T18:06:09.288+05:30Comments on मैं घुमन्तू: शुरुआत एक ‘सॉरी’ से तो हो ही सकती हैAnu Singh Choudharyhttp://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-19595208541089303822013-02-07T20:14:10.839+05:302013-02-07T20:14:10.839+05:30डॉ .अनुराग said...I AM 100 PERCENT AND TOTALY AGRE...डॉ .अनुराग said...I AM 100 PERCENT AND TOTALY AGREED WITH DR ANURAG JI/////Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-54178245166769301532013-02-07T14:11:37.471+05:302013-02-07T14:11:37.471+05:30इसे पढ़कर यही कहा जा सकता है कि चाहे कोई मीडिया पर...इसे पढ़कर यही कहा जा सकता है कि चाहे कोई मीडिया पर्सन हो या हम स्वयं ही क्यों न हो हमें किसी भी व्यक्ति या परिस्थिति को लेकर जजमेन्टल नही होना चाहिये और गलती से ऐसा कुछ हो भी जाता है जिससे किसी की भावनाएं आहत होती है तो जो मैम ने बताया कि फिर से एक शुरूआत एक “सॉरी” से तो हो ही सकती है।<br /><br />divyahttps://www.blogger.com/profile/18054103527149332218noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-63409327703477601962013-02-06T23:25:24.022+05:302013-02-06T23:25:24.022+05:30fully agree with anurag jii...fully agree with anurag jii...arvindhttps://www.blogger.com/profile/10810344218907727549noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-80789311325199723762013-02-06T23:24:11.589+05:302013-02-06T23:24:11.589+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.arvindhttps://www.blogger.com/profile/10810344218907727549noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-88549068037861195712013-02-06T21:00:12.665+05:302013-02-06T21:00:12.665+05:30आपने अनुवाद के श्रम से ही लेख की महत्ता इंगित हो...आपने अनुवाद के श्रम से ही लेख की महत्ता इंगित हो गयी थी -संस्कृतियों की टकराहट एक नग्न सच्चाई है मगर कहा गया है न या विद्या सा विमुक्तये .....मतलब वही शिक्षा श्रेष्ठ है जो इन जंजीरों से मुक्ति दिलाये ....और शिक्षित भी वही है! बाकी डॉ अनुराग ने तफसील से कई बिन्दुओं को समेट ही लिया है! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-53842276314570211232013-02-06T17:16:12.010+05:302013-02-06T17:16:12.010+05:30विचारणीय आलेखविचारणीय आलेखvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-85264516771440290632013-02-06T15:16:26.578+05:302013-02-06T15:16:26.578+05:30अपनी पहचान के प्रति संशय तब होता है जब उसे स्थापित...अपनी पहचान के प्रति संशय तब होता है जब उसे स्थापित पहचानों से तुलना करने की आवश्यकता पड़ती है। जब पहचान को नदियों के संगम में छोड़ दिया तो इतिहास पर क्यों रोना?प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-59427362765202082502013-02-06T14:23:03.594+05:302013-02-06T14:23:03.594+05:30शाहरुख़ खान से अलग अगर मुस्लिम भाई/बहनों की बात कर...शाहरुख़ खान से अलग अगर मुस्लिम भाई/बहनों की बात करें तो जैसे उनपर एक बोझ होता है, हर वक़्त अपनी देशभक्ति साबित करने का। <br /><br />फेसबुक पर भी देखती हूँ, चाहे दूसरी ख़बरें वे नज़रअंदाज कर जाएँ पर अगर कहीं किसी मुस्लिम संगठन ने कोई हमला किया हो, कोई फतवा जारी किया हो तो उनसे उसकी भर्त्सना करने की अपेक्षा जरूर की जाती है और वे इसे अपना कर्तव्य समझ कर इसकी निंदा करते भी हैं, जबकि वे कोई नेता नहीं हैं <br /><br />उन्हें भी सहज रहने का अधिकार है। rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-361816811593679767.post-12953836400145028252013-02-06T11:40:34.461+05:302013-02-06T11:40:34.461+05:30चीजों को समझे बिना अतिरिक्त उत्साह में शाहरुख़ पर ...चीजों को समझे बिना अतिरिक्त उत्साह में शाहरुख़ पर हमला उठाने वाले अतिवादी जितने बेवकूफ है फ़ोर्ब्स द्वारा जारी सूचना के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला मीडिया क्रियेट सेलेब्रिटी स्टार भी उतना बेचारा नहीं है जितना दिखने की कोशिश करता है .अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी के पलो को शूट करने के अधिकार को एक इंग्लिश चैनल को एक तय रकम में बेचने वाला ,शादियों पर्सनल समाराहो में नाचने के लिए पैसे लेने वाला ,आई पी एल में इन्वेस्ट करने वाला एक समझदार व्योपारी कहता है के अभिनेता के तौर पर उसे चुप रहना चाहिए .तो हज़म नहीं होता .वो किसी पिछड़े कसबे में रहने वाला मुसलमान नहीं है जिस पर बहुत कुछ गुजरी है इसलिए वो अपने बच्चो को एक पहचान विहीन नाम देना चाहता है . वो मीडिया को समझने बूझने वाला स्ट्रीट स्मार्ट व्यक्ति है जिसने इस मीडिया की बाबत हजारो करोडो रुपये कमाए है .साल में सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला स्टार हमें "इमोशनल " कर जाता है . सामाजिक मुद्दों पर उसकी ख़ामोशी इसलिए है क्यूंकि भारतीय मीडिया में समझ की कमी है .<br />याद करने की कोशिश करता हूँ आमिर खान ,शबाना आज़मी ,फारुख शेख ,जावेद अख्तर ऐसे कितने नाम है जिन्होंने अपनी "इमेज " के हर्डल के कारण अपने विचार नहीं कहे या मुसलमान होने के कारण ?.<br />.दरअसल किसी भी अभिनेता या रोल मोडल की इस समाज के प्रति अलिखित जिम्मेदारी होती है ओर इसकी कोई परिपाटी नहीं होती ये आदमी की अपने भीतर की पर्सनेल्टी का हिस्सा होता है अपनी जिम्मेदारी का अहसास तभी रिचर्ड गेरे से लेकर दुसरे होलीवुड अभिनेता इसे भीतर .से महसूस करके बोलते है .कम्फर्ट ज़ोन में जाकर भी अगर आप इसे रिलाइज नहीं करते ओर बेचारगी का एक ऐसा लबादा ओढ़े रहते है जो दरसल आप पर कभी था ही नहीं .किसी दुसरे शहर के गले मोहल्ले में रहने वाला आम मुसलमान ये कहता के मैंने अपने बच्चो का नाम कॉमन रखा है तो एक बारगी समझ आता पर यहाँ डाइजेस्ट नहीं होता।<br /> हो सकता है वे अमेरिका के मुतल्लिक कह रहे हो "खान "की बाबत या शिव सेना के उन दस बीस आदमियों के खिलाफ जो अमिताभ की भी खिलाफत करते है जाया बच्चन की भी .तब ये नारे लगाते है जाओ उत्तर प्रदेश वापस जाओ .<br />तभी एन डी टी वी पर हिलाल खुला ओर साफ़ बोलते है के<br />"मुश्किल आने पर ही "सलमान "भी दाढ़ी बढ़ा कर टोपी पहनने लगते है ओर अज्हरूदीन भी .<br /><br />ज्यादातर सेलिब्रिटी अपनी दुनिया में आत्मकेंद्रित स्वार्थी लोग है तभी ऋतिक रोशन से लेकर तमाम बड़े स्टार उस लड़की की मर्त्यु वाले दिन एक सूबे के मुख्यमंत्री के प्रोग्राम में नाच गाकर शान से शिरकत करते है पर किसी सामाजिक मुद्दे पे उनकी जुबान खुलने में तकलीफ देती है वे मीडिया से सारे फायदे उठाना तो अपना अधिकार समझते है पर इसके साइड इफेक्ट को डाइजेस्ट करने में उन्हें मुश्किल होती है ..<br />हो सकता है स्वदेश ओर चक दे के किरदार मुझे पसंद हो पर परदे के बाहर एक "व्यक्ति" के तौर पे खड़ा इंसान मुझे साधारण नजर आता है डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com